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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत -Ashok Gehlot

लंपी स्किन बीमारी से बचाव के लिए राजस्थान सरकार ने जारी किए 30 करोड़ रुपये

लंपी स्किन बीमारी से बचाव के लिए राजस्थान सरकार ने जारी किए 30 करोड़ रुपये

बरसात का मौसम आते ही जानवरों को तमाम तरह की बीमारियां लगने लगती हैं। आज कल देश में लम्पीस्किन बीमारी यानी ‘लम्पी स्किन डिजीज‘ या एलएसडी (LSD - Lumpy Skin Disease) ने जोर पकड़ा हुआ है। 

यह बीमारी सबसे ज्यादा कहर राजस्थान राज्य में बरपा रही है। अच्छी बात ये है कि सरकार ने बीमारी को गंभीरता से लिया है और इससे पशुपालकों को निजात दिलाने के लिए 30 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं, 

ताकि पशुपालक दवाई खरीदते हुए पशुओं का इलाज करवा सकें। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के इस कदम की सराहना हो रही है। सीएम अशोक गहलोत ने इस राशि को मुख्यमंत्री पशुधन निःशुल्क दवा योजना (Pashudhan Nishulk Dava Yojna) के अंतर्गत जारी किया है। 

यह बीमारी सबसे ज्यादा गायों को लग रही है। सरकार का मानना है कि इस फैसले का असर सकारात्मक होगा और इस बीमारी से बचाव के लिए दवाइयां पशुपालक जल्दी से जल्दी खरीद सकेंगे।

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वैसे इस बीमारी से प्रभावित राजस्थान इकलौता राज्य नहीं है, बल्कि सटे राज्य हरियाणा में भी इस रोग ने कहर बरपाया हुआ है। वैसे हरियाणा सरकार ने भी इस बीमारी को हल्के में नहीं लिया है और वैक्सिनेशन का काम शुरू करवा दिया है।

गौर करने वाली बात है कि हरियाणा देश के उन राज्यों में से एक है जहां ग्रामीण जनता अपनी आमदनी के लिए खेती किसानी और पशु धन पर निर्भर है। 

यही वजह है कि मनोहर लाल खट्टर की सरकार ने इस बीमारी के जल्दी से जल्दी रोकथाम की कोशिशें तेज कर दी हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक 3000 वैक्सीन पशुपालकों को बांटी जा चुकी हैं, 

वहीं अभी 17000 वैक्सीन की जरूरत और आन पड़ी है। अगस्त महीने के अंत तक वैक्सीन के बांटने को लेकर और तेजी देखने को मिलेगी।

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एक आंकड़े के मुताबिक लंपी स्किन रोग देश के 17 राज्यों में अब तक फैल चुका है। लेकिन इस दौरान इसने सबसे ज्यादा प्रभावित राजस्थान और हरियाणा को किया है। 

अच्छी बात है कि राज्य सरकारों ने इसके लिए वैक्सिनेशन का काम शुरू कर दिया है लेकिन वैक्सिनेशन होने में समय भी लग सकता है। ऐसे में जरूरी है कि उसके पहले आप कुछ घरेलू उपचार ज़रूर कर लें। 

घरेलू उपचार क्या हो सकते हैं, इसके बारे में हिमाचल प्रदेश कृषि विश्‍वविद्यालय पालमपुर के पशु चिकित्‍सा विशेषज्ञ डॉ. ठाकुर ने बताया है।

उपचार के लिए क्या चाहिए होगा -

  • 10 ग्राम कालीमिर्च, 10 पान के पत्ते, 10 ग्राम नमक और गुड़ जरूरत के मुताबिक।
  • सभी चीज़ों को अच्छे से पीसें और तब तक पीसते रहें जब तक मिश्रित होकर पेस्ट न बन जाए और अब थोड़ा से गुड़ मिला लें। 
  • अब आपको इसे अपने पशु को थोड़ा-थोड़ा खिलाना है।
  • जब आप पहले दिन इसकी खुराक पशु को दें तो हर तीन घंटे में दें, समय के पाबंद रहें क्योंकि यह जरूरी है। - यह सिलसिला दो हफ्ते तक चलने दें और दिन में तीन खुराक ही खिलाएं।
  • हर एक खुराक ताजा ही तैयार करें, ऐसा न करें कि कल की बनाई खुराक को आज खिला दें, उसका असर नहीं होगा।

उपचार का दूसरा तरीका - इस तरीके में आपको एक मिश्रण तैयार करना होगा, जो आप घाव पर लेप के रूप में लगाएंगे। 

इसके लिए आपको लहसुन की 10 कली, मेहंदी के पत्ते कुछ, तिल का तेल करीब आधा लीटर, कुम्पी के कुछ पत्ते, हल्दी पाउडर, तुलसी के कुछ पत्ते चाहिए होंगे। 

इन सभी को मिक्सी या सिलबट्टे में पीस लें और पेस्ट बना लें । इसके बाद इसमें तिल का तेल मिलाते हुए उबाल लें, ठंडा होने के बाद लेप को आपको पशु के घाव पर लगाना है लेकिन इसके पहले पशु के घाव को अच्छी तरह साफ कर लें।

इसके बाद उसका पेस्ट आप घाव पर लगा दें, आपको हर रोज घाव पर इसे लगाना है और यह दो हफ्ते तक करना है। नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड‘ और ‘इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसडिसिप्लिनरी हेल्थ साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी’ ने प्रो. एन. पुण्यमूर्थी के मार्गदर्शन में कुछ पारंपरिक पद्दति द्वारा देशी ईलाज सुझाए हैं, 

जिन्हे आप इस लेख में पढ़ सकते हैं : लम्पी स्किन डिजीज (Lumpy Skin Disease) वैसे अगर आपको वैक्सिनेशन का लाभ मिलता है तो उसे तुरंत लें क्योंकि घरेलू उपचार की अपनी सीमाएं जबकि वैक्सीन शर्तिया काम करती है लेकिन जब तक आपको वैक्सीन न मिले, घरेलू इलाज करते रहें।

खुशखबरी: इस राज्य में आवारा पशुओं से परेशान किसानों को मिलेगी राहत

खुशखबरी: इस राज्य में आवारा पशुओं से परेशान किसानों को मिलेगी राहत

राजस्थान राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री जन सहभागिता योजना को स्वीकृति प्रदान करदी है। इस योजना के अंतर्गत कृषकों को आवारा पशुओं द्वारा मचाई जा रही तबाही से राहत प्रदान करने हेतु 1,500 ग्राम पंचायतों में गौशाला एवं आश्रय निर्मित किए जाएंगे। वर्तमान में अधिकांश राज्यों में छुट्टा घूमने वाले गौवंशों की संख्या में बढ़वार देखने को मिल रही है। इन दुधारू पशुओं से जब पशुपालकों को दूध की प्राप्ति नहीं होती तो इनको सड़कों पर आवारा छोड़ देते हैं। ऐसी स्थिति में यह पशु सड़कों को ही अपना घर मान लेती हैं। जिसकी वजह से आए दिन सड़क दुर्घटनाओं की खबर सुनने को मिलती हैं। साथ ही, इनके खाने के लिए चारे की कोई व्यवस्था ना होने की वजह से ये पशु खेतों में घुंसकर फसलों को नष्ट कर देते हैं। जो कि किसानों के लिए ही चुनौती उत्पन्न करती है। राजस्थान, यूपी और बिहार में आवारा गौवंशों की परेशानियों में बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है। इन तीनों प्रदेशों की राज्य सरकारें स्वयं के स्तर पर इस चुनौती से निपटने हेतु कार्य कर रही हैं। इसी क्रम में हाल ही में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत यानी राजस्थान सरकार ने भी अहम निर्णय लिया है। राजस्थान राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा ग्राम पंचायतों के अंतर्गत पशु आश्रय स्थल एवं गौशालाओं के निर्माण की घोषणा करदी है। इस कार्य को मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के चलते किया जाना है।

गौशाला/पशु आश्रय स्थल बनाने की क्या रणनीति है

राजस्थान राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री जन सहभागिता योजना को मंजूरी देदी है। इसके प्रथम चरण में 1,500 ग्राम पंचायतों में गौशालाएँ व पशु आश्रय स्थल बनेंगे, इसके लिए 1,377 करोड़ रुपये का बजट जारी किया गया है। इस योजना के अंतर्गत ऐसी ग्राम पंचायतों में प्राथमिकता से पशुओं हेतु आश्रय स्थल निर्मित किए जाने हैं। जहां इनको चलाने हेतु बेहतर कार्यकारी एजेंसी (ग्राम पंचायत, स्वयं सेवी संस्था उपस्थित रहेगी। राज्य इन इन ग्राम पंचायतों में गौशाला निर्माण हेतु एक-एक करोड़ रुपये की धनराशि का आबंटन किया जाना है । इस योजना के अनुसार, 90% फीसद धनराशि को राज्य सरकार एवं 10% फीसद धनराशि को कार्यकारी एजेंसी द्वारा वहन किया जाना है। फिलहाल, इस योजना के अंतर्गत वर्ष 2022-23 में 183.60 करोड़ रुपये के खर्च से 200 एवं वर्ष 2023-24 में 1,193.40 करोड़ रुपये के खर्च से 1,300 ग्राम पंचायतों में गौशालाऐं बनायी जा रहा है।
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किसानों को छुट्टा पशुओं से मिलेगी राहत

आवारा पशुओं की तादात में वृद्धि का सर्वाधिक नुकसान किसानों को ही तो भोगना होता है। यह आवारा पशु खेतों में जाकर के फसलों को खा जाते हैं। फसल का उत्पादन प्राप्त होने से पूर्व ही किसानों के सारा खेत पशु खाकर साफ कर देते हैं। इस प्रकार पूरे सीजन अथक प्रयास और परिश्रम करने वाले किसानों को केवल निराशा और हताशा ही प्राप्त होती है। आवारा पशुओं द्वारा बहुत बार किसानों को उस हद तक हानि हो जाती है। जिसका मुआवजा तक किसानों को मिलना काफी कठिन सा हो जाता है, जिस की वजह से आर्थिक समस्या उत्पन्न हो जाती है। परंतु, अब राजस्थान के किसानों की इस परेशानी का निराकरण तो निकलेगा ही, साथ ही, छुट्टा एवं निराश्रित पशुओं को आश्रय स्थल भी मुहैय्या हो पाएगा।
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सरकार पशुपालकों को भी अनुदान मुहैय्या करा रही है

मीडिया की खबरों के मुताबिक, वर्ष 2022-23 के अंतर्गत ही राजस्थान सरकार द्वारा अपने बजट में ग्राम पंचायतों में गौशाला एवं पशु आश्रय स्थल निर्माण एवं उनके बेहतरीन ढ़ंग से संचालन हेतु की घोषणा करदी थी। इसी दिशा में अग्रसर होकर कार्य करते हुए राजस्थान राज्य में गौशालाओं को 9 महीने तक अनुदान प्रदान किया जा रहा है। वहीं, पशुपालकों हेतु 5 रुपये प्रति लीटर के अनुरूप दूध पर अनुदान का भी प्रावधान दिया गया है।